Swati Sharma

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लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 7)

   आज बाई जी हमारे घर आईं थीं। बाईजी की कहानी इस प्रकार से है। बाईजी हमारे यहां तब से काम कर रही थीं जब मैं चौथी कक्षा में पढ़ती थी। वो बहुत ही ईमानदार महिला हैं। वह हमारे घर सुबह तड़के 5 बजे ही आ जाती थीं। मम्मा उन्हें चाय पिलाती। उन्हें मम्मा के हाथ की चाय बेहद पसंद थी। वह कहती थीं मम्मा से कि उनके जैसी चाय उन्हें कोई नहीं पिलाता। मम्मा उन्हें काम पानी और ज्यादा दूध की चाय पिलाती, जो उन्हें पसंद आती। बाईजी हमारे घर सिर्फ बर्तन और कपड़े धोने आती थीं। एक बार सुबह एक बार दोपहर में। जब शाम को घर आतीं, तो बाज़ार से सब्जी तरकारी भी लेती आतीं। जब मम्मा- पापा को कहीं बाहर जाना होता वो उन्हें ही हमारे पास छोड़कर जाते। वो इतनी ईमानदार थीं कि जब सब्जी भाजी लातीं तो, एक एक रुपया मम्मा को वापस लौटा देतीं। मम्मा उनको एक्स्ट्रा पैसे दे भी देती तो भी वह नहीं लेती थीं। कहती भाभीजी मेरा जितना पैसा बनता हैं, मैं उतना ही लेती हूं।

   मेरे माता पिता दोनों ही नौकरी पेशा रहे हैं। परंतु, मम्मा को बाईजी पर इतना  एलके, की वह उनके भरोसे पूरा घर छोड़ जाती। मजाल है जो कभी कोई भी चीज़ घर में इधर से उधर हो जाए। जब हम भोजन करते होते और बाईजी सामने आ जाती, तो हम उनसे पूछ लेते कि बाई जी भोजन कर लो। वह कहती बस बेटा आप करो भगवान आपको खूब दे। इतनी प्यारी और क्यूट थीं हमारी बाईजी।
   रात में वह अपने पति के साथ आतीं थीं, जो किसी सुनार के यहां काम करते थे। जब मैं पी.एम.टी. की तैयारी कर रही थी तो उन्हें लगता था मैं डॉक्टर बन गई। रोज़ आते और तरह- तरह की दवाइयां पूछते। मैंने, मम्मा, पापा और खुद बाईजी ने भी उन्हें समझाया कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ है। परंतु, वह मानने को तैयार ही नहीं थे। उनके लिए तो मैं डॉक्टर बन चुकी थी। फिर जब वो आते तो मैं कहीं छुप जाती। वो पूछते कहां हैं हमारे डॉक्टर साब? मम्मा कह देती पढ़ाई कर रही है। उस पर वो कहते हां, बहुत पढ़ाई करते हैं, तभी तो डॉक्टर बने हैं। मम्मा हंसकर मेरी चुटकी लेते हुए कहती लो बेटा चाहे तुम्हें कोई डिग्री दे या ना दे पर इन्होने तो तुम्हें डॉक्टर बना ही दिया।
    जब हम लोगों का नया घर बना हमने वहां से छोड़कर अपने नए घर में शिफ्टिंग किया। तब बाईजी को मम्मा ने इतना कहा कि बाईजी यहीं आ जाओ। मेरा घर संभाल लो। आप चाहो तो राते भी आपके सोने का इंतज़ाम कर दूंगी, परंतु बाईजी नहीं आ पाईं। क्योंकि हमारा नया घर पहले वाले घर से दूर था तो वह रोज़ भी नहीं आ सकती थीं।
     आज भी चाहे कितना ही समय हो गया परंतु, मम्मा बाईजी को हर त्यौहार पर बुलाकर कपड़े, मिठाइयां ज़रूर देती हैं। हम लोग तो उनका इतना सम्मान करते हैं कि उन्हें देखते ही उनके पैर छूते हैं। मुझे लगता है, कि इस प्रकार से ईमानदार व्यक्तियों को सम्मान मिलना भी चाहिए। अतः वे हम सबको बदले में ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद देती रहती हैं।

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4 Comments

Gunjan Kamal

06-Dec-2022 02:34 PM

शानदार

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Swati Sharma

06-Dec-2022 04:00 PM

Dhanyawad

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Pratikhya Priyadarshini

30-Nov-2022 09:29 PM

Bahut khoob 💐🙏

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Swati Sharma

30-Nov-2022 10:25 PM

Thank you maam 🙏🏻💐😇

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